Hukamnama Sahib
AMRIT VELE DA HUKAMNAMA SRI DRABAR SAHIB, SRI AMRITSAR, ANG 497, 30-May-2024
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ਗੂਜਰੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥ ਜਿਸੁ ਮਾਨੁਖ ਪਹਿ ਕਰਉ ਬੇਨਤੀ ਸੋ ਅਪਨੈ ਦੁਖਿ ਭਰਿਆ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਜਿਨਿ ਰਿਦੈ ਅਰਾਧਿਆ ਤਿਨਿ ਭਉ ਸਾਗਰੁ ਤਰਿਆ ॥੧॥ ਗੁਰ ਹਰਿ ਬਿਨੁ ਕੋ ਨ ਬ੍ਰਿਥਾ ਦੁਖੁ ਕਾਟੈ ॥ ਪ੍ਰਭੁ ਤਜਿ ਅਵਰ ਸੇਵਕੁ ਜੇ ਹੋਈ ਹੈ ਤਿਤੁ ਮਾਨੁ ਮਹਤੁ ਜਸੁ ਘਾਟੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥ ਮਾਇਆ ਕੇ ਸਨਬੰਧ ਸੈਨ ਸਾਕ ਕਿਤ ਹੀ ਕਾਮਿ ਨ ਆਇਆ ॥ ਹਰਿ ਕਾ ਦਾਸੁ ਨੀਚ ਕੁਲੁ ਊਚਾ ਤਿਸੁ ਸੰਗਿ ਮਨ ਬਾਂਛਤ ਫਲ ਪਾਇਆ ॥੨॥ “Amrit Vele Da Hukamnama”
ਅਰਥ: ਮੈਂ ਜਿਸ ਭੀ ਮਨੁੱਖ ਕੋਲ (ਆਪਣੇ ਦੁੱਖ ਦੀ) ਗੱਲ ਕਰਦਾ ਹਾਂ, ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੁੱਖ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਦਿੱਸਦਾ ਹੈ (ਉਹ ਮੇਰਾ ਦੁੱਖ ਕੀਹ ਨਿਵਿਰਤ ਕਰੇ?)। ਜਿਸ ਮਨੁੱਖ ਨੇ ਆਪਣੇ ਹਿਰਦੇ ਵਿਚ ਪਰਮਾਤਮਾ ਨੂੰ ਆਰਾਧਿਆ ਹੈ, ਉਸ ਨੇ ਹੀ ਇਹ ਡਰ (-ਭਰਿਆ ਸੰਸਾਰ-) ਸਮੁੰਦਰ ਪਾਰ ਕੀਤਾ ਹੈ ॥੧॥ ਗੁਰੂ ਤੋਂ ਬਿਨਾ ਪਰਮਾਤਮਾ ਤੋਂ ਬਿਨਾ ਕੋਈ ਹੋਰ ਧਿਰ (ਕਿਸੇ ਦਾ) ਦੁੱਖ ਪੀੜ ਕੱਟ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ। ਪਰਮਾਤਮਾ (ਦਾ ਆਦਰਾ) ਛੱਡ ਕੇ ਜੇ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਦਾ ਸੇਵਕ ਬਣੀਏ ਤਾਂ ਇਸ ਕੰਮ ਵਿਚ ਇੱਜ਼ਤ ਵਡਿਆਈ ਸੋਭਾ ਘਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ॥ ਮਾਇਆ ਦੇ ਕਾਰਨ ਬਣੇ ਹੋਏ ਇਹ ਸਾਕ ਸਜਣ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ (ਦੁੱਖਾਂ ਦੀ ਨਿਵਿਰਤੀ ਵਾਸਤੇ) ਕਿਸੇ ਭੀ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦੇ। ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਭਗਤ ਜੇ ਨੀਵੀਂ ਕੁਲ ਦਾ ਭੀ ਹੋਵੇ, ਉਸ ਨੂੰ ਸ੍ਰੇਸ਼ਟ (ਜਾਣੋ), ਉਸ ਦੀ ਸੰਗਤ ਵਿਚ ਰਿਹਾਂ ਮਨ-ਇੱਛਤ ਫਲ ਹਾਸਲ ਕਰ ਲਈਦੇ ਹਨ ॥੨॥ “Amrit Vele Da Hukamnama”
Amrit Vele Da Hukamnama Sri Darbar Sahib In Hindi
गूजरी महला ५ ॥ जिसु मानुख पहि करउ बेनती सो अपनै दुखि भरिआ ॥ पारब्रहमु जिनि रिदै अराधिआ तिनि भउ सागरु तरिआ ॥१॥ गुर हरि बिनु को न ब्रिथा दुखु काटै ॥ प्रभु तजि अवर सेवकु जे होई है तितु मानु महतु जसु घाटै ॥१॥ रहाउ ॥ माइआ के सनबंध सैन साक कित ही कामि न आइआ ॥ हरि का दासु नीच कुलु ऊचा तिसु संगि मन बांछत फल पाइआ ॥२॥ लाख कोटि बिखिआ के बिंजन ता महि तृसन न बूझी ॥ सिमरत नामु कोटि उजीआरा बसतु अगोचर सूझी ॥३॥ फिरत फिरत तुम्मरै दुआरि आइआ भै भंजन हरि राइआ ॥ साध के चरन धूरि जनु बाछै सुखु नानक इहु पाइआ ॥४॥६॥७॥”Amrit Vele Da Hukamnama”
अर्थ: में जिस् भी मनुष से ( अपने दुःख की) बात करता हूँ , वह अपने दुखो से भरा हुआ दिखता है(वह मेरा दुःख क्या हल्का करे ?) । जिस मनुष ने अपने दिल में परमात्मा की पूजा की है, उस ने ही यह डर (भरा संसार) सुमन्दर पार किया है ॥੧॥ गुरु से बिना और परमात्मा के बिना कोई और सदा के लिए (किसी का) दुःख पीड़ा काट नहीं सकता । परमात्मा (का आदर ) छोड़ कर किसी और सेवक बने तो इस काम में इज्जत मान शोभा घट जाती है ॥੧॥रहाऊ ॥ माया के कारन बने हुए यह साक सजन रिश्तेदार (दुखो को खत्म करने में) किसी भी काम नहीं आ सकते । परमात्मा का भगत जो छोटी कूल से भी हो, उस को सब से ऊपर ( जानो ), उस की संगत में रहने से मन-इच्छा फल प्राप्त कर सकते है ॥੨॥ हे भाई ! अगर माया के लाखों-करोड़ों स्वादिष्ट व्यंजन हों।उनमें लगने (खाने की) तृष्णा नहीं खत्म होती। परमात्मा का नाम सिमरने से (अंदर।जैसे) करोड़ों (सूरजों का) प्रकाश हो जाता है।और अंदर वह कीमती पदार्थ दिखाई दे जाता है जिस तक ज्ञानेन्द्रियों की पहुँच नहीं हो सकती। 3। हे नानक ! (कह–) हे प्रभू पातशाह ! हे जीवों के सारे डर नाश करने वाले हरी ! जो मनुष्य भटकता-भटकता (आखिर) तेरे दर पर आ पहुँचता है वह (तेरे दर से) गुरू के चरणों की धूड़ मांगता है।(और तेरे दर से) ये सुख प्राप्त करता है। 4। 6। 7। “Amrit Vele Da Hukamnama”
Know Some Unheard Things About Sri Guru Amardas Ji ||
Amrit Vele Da Hukamnama Sri Darbar Sahib In English
goojaree mahalaa panjavaa || jis maanukh peh karau benatee so apanai dhukh bhariaa || paarabraham jin ridhai araadhiaa tin bhau saagar tariaa ||1|| gur har bin ko na birathaa dhukh kaaTai || prabh taj avar sevak je hoiee hai tit maan mahat jas ghaaTai ||1|| rahaau || maiaa ke sanaba(n)dh sain saak kit hee kaam na aaiaa || har kaa dhaas neech kul uoochaa tis sa(n)g man baa(n)chhat fal paiaa ||2|| laakh koT bikhiaa ke bi(n)jan taa meh tirasan na boojhee || simarat naam koT ujeeaaraa basat agochar soojhee ||3|| firat firat tum(h)rai dhuaar aaiaa bhai bha(n)jan har raiaa || saadh ke charan dhoor jan baachhai sukh naanak ih paiaa ||4||6||7|| “Amrit Vele Da Hukamnama”
Meaning: Goojaree, Fifth Mehl: Whoever I approach to ask for help, I find him full of his own troubles. One who worships in his heart the Supreme Lord God, crosses over the terrifying world-ocean. ||1|| No one, except the Guru-Lord, can dispel our pain and sorrow. Forsaking God, and serving another, one’s honor, dignity and reputation are decreased. ||1||Pause|| Relatives, relations and family bound through Maya are of no avail. The Lord’s servant, although of lowly birth, is exalted. Associating with him, one obtains the fruits of his mind’s desires. ||2|| Through corruption, one may obtain thousands and millions of enjoyments, but even so, his desires are not satisfied through them. Remembering the Naam, the Name of the Lord, millions of lights appear, and the incomprehensible is understood. ||3|| Wandering and roaming around, I have come to Your Door, Destroyer of fear, O Lord King. Servant Nanak yearns for the dust of the feet of the Holy; in it, he finds peace. ||4||6||7|| “Amrit Vele Da Hukamnama”
Know Some Unheard Things About Sri Guru Nanak Dev Ji ||
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ !!
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫਤਹਿ !!
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